🇪🇺 यूरोपीय संघ ने नायरा एनर्जी पर लगाया प्रतिबंध – जानिए वजह और भारत का रुख
🔎 प्रतिबंध किस पर और क्यों?
✅ कंपनी का नाम: Nayara Energy Ltd.
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यह एक भारतीय रिफाइनिंग कंपनी है, जिसका मुख्य रिफाइनरी प्लांट गुजरात के वाडीनार में स्थित है।
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इस कंपनी में रूस की सरकारी तेल कंपनी Rosneft का बड़ा हिस्सा (करीब 49.13%) है।
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Nayara, रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल (Crude Oil) आयात करती है, उसे भारत में प्रोसेस करके रिफाइन्ड प्रोडक्ट जैसे डीजल और पेट्रोल में बदलती है, और फिर दुनिया के कई हिस्सों में भेजती है – जिनमें यूरोप भी शामिल था।
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🚫 EU ने प्रतिबंध क्यों लगाया?
यूरोपीय संघ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें कच्चे तेल और उससे बने उत्पादों की खरीद पर रोक भी शामिल थी।
EU को यह संदेह है कि:
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भारतीय कंपनियां रूसी तेल को प्रोसेस करके उस पर "मेड इन इंडिया" का टैग लगाकर यूरोप भेज रही हैं,
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जो कि प्रतिबंधों के लिए एक “backdoor entry” मानी जा रही है।
इस कारण EU ने साफ कर दिया है कि ऐसे किसी भी तेल उत्पाद को खरीदा नहीं जाएगा, जिसमें रूसी तेल का अंश हो, चाहे वो भारत जैसे तटस्थ देश से ही क्यों न आया हो।
🧨 Nayara Energy के लिए क्या असर?
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Nayara के कुल रिफाइन्ड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में यूरोपीय बाज़ार की हिस्सेदारी अच्छी-खासी थी।
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अब यूरोप के बाज़ार में दरवाज़े बंद होने से नायरा को वैकल्पिक खरीदारों की तलाश करनी पड़ेगी, जिससे कंपनी के मार्जिन और बिक्री दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
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साथ ही, कंपनी पर रिपुटेशनल रिस्क भी बढ़ सकता है, क्योंकि वह सीधे रूसी कंपनी से जुड़ी हुई है।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया क्या रही?
अब तक भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही विदेश मंत्रालय और न ही पेट्रोलियम मंत्रालय ने कोई बयान जारी किया है।
हालांकि भारत का रुख अब तक हमेशा ये रहा है कि:
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वह किसी भी एक पक्ष का साथ नहीं लेता,
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और वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है – खासकर जब बात ऊर्जा सुरक्षा की हो।
भारत पहले भी कह चुका है कि रूस से सस्ता तेल खरीदना उसका अधिकार है क्योंकि इससे आम भारतीयों को सस्ता ईंधन उपलब्ध कराया जा सकता है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकता है?
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भारत को इस मामले में आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है,
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विशेषकर अगर और देशों में भी Nayara जैसे मॉडलों से रूसी तेल अप्रत्यक्ष रूप से यूरोप या अन्य प्रतिबंधित बाजारों में पहुंच रहा हो।
✍️ निष्कर्ष
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